राजनांदगांव. छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिला मुख्यालय से 170 किलोमीटर की दूरी पर बसा छोटा सा गांव मेटातोड़के, जहां लगभग 80 लोगों की आबादी इस गांव में निवास करती है. घने जंगलों के बीच यह गांव बसा हुआ है और मूलभूत सुविधाओं से भी यह गांव कोसों दूर है. यहां ना सड़क है ना बिजली है ना पानी है और ना ही शिक्षा है. यह गांव पहाड़ों से घिरा हुआ है. यहां पहुंचना भी आसान नहीं है. आजादी के 75 साल बाद भी यहां विकास नहीं पहुंचा है. मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी ग्रामीण तरस रहे हैं.
सड़क के नाम पर सिर्फ पगडंडी ही नजर आती है. इस भीषण गर्मी में लोग झरिया का पानी पीने मजबूर हैं. गांव की एक लड़की सुनीता बताती हैं कि रोज सुबह शाम यहां से पानी लेकर जाते हैं और इसी से गुजर बसर होता है. गांव में हैंडपंप तो है, लेकिन उसमें का पानी पीने योग्य नहीं है और गर्मी में पानी नीचे चला जाता है. ऐसे में सुबह से ही महिलाएं पानी लेने के लिए घर से झरिया के लिए निकल जाती हैं.
गांव तक नहीं पहुंचा विकास
इस छोटे से गांव में कई साल से बसे ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव में मूलभूत सुविधा का अभाव है. ग्रामीण ईसरू राम कोरचा कहते हैं कि गांव में ना सड़के हैं, ना बिजली है, ना पानी की व्यवस्था है. यहां ग्रामीण नरकीय जीवन जीने मजबूर हैं. आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी स्थिति जस की तस है और इस गांव से विकास कोसों दूर है. ग्रामीणों के पास पेयजल तक कि सुविधा नहीं है. बहरहाल इस छोटे से गांव में मूलभूत सुविधा काअभाव है. यहां ग्रामीण विकास से कोसों दूर हैं. शासन प्रशासन की नजर यहां तक नहीं गई है. इससे ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. पानी जैसी मुख्य जरूरत की पूर्ति भी नहीं की जा रही है.
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Tags: Chhattisgarh news, Water Crisis
FIRST PUBLISHED : June 09, 2022, 13:12 IST