
रायपुर. मोदी सरकार के 8 साल पूरे होने पर राजधानी रायपुर में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए बुधवार को केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने देश में जल्द ही जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू होने की बात कही. जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर मीडिया के सवाल पर टो टूक शब्दों में पटेल ने कहा कि जब मोदी सरकार में इतने बड़े और कड़े फैसले हुए हैं तो यह भी जल्द होगा. केंद्रीय मंत्री ने अपने बात को दोहराते हुए कहा कि जल्द ही लागू होगा. गौरतलब है कि 2019 में भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय संघ विचारधार के राकेश सिन्हा ने जनसंख्या विनियमन विधेयक को एक निजी विधेयक के रूप में पेश किया था, उस वक्त राकेश सिन्हा ने कहा था कि जनसंख्या विस्फोट भारत के पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन के आधार को अपिवर्तनीय रूप से प्रभावित करेगा और अगली पीढ़ी के अधिकारों और प्रगति को सीमित कर देगा.
2018 में करीब 125 सांसदों ने राष्ट्रपति से भारत में दो बच्चों की नीति लागू करने का आग्रह किया था.
2016 में बीजेपी सांसद प्रह्लाद पटेल ने भी जनसंख्या नियंत्रण पर एक निजी सदस्य बिल पेश किया था, हालांकि यह अधिकांश निजी विधेयकों की तरह ही मतदान के चरण तक भी नहीं पहुंच सका था.
2015 में गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ ने एक ऑनलाइन पोल आयोजित कर पूछा था कि क्या मोदी सरकार को जनसंख्या नियंत्रण के लिए कोई नीति बनानी चाहिए. 1994 में जब भारत ने जनसंख्या और विकास की घोषणा पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हस्ताक्षर किया था तो उसमें परिवार के आकार और दो प्रसव के बीच के समय निर्धारण के बारे में निर्णय लेने का अधिकार दंपति को दिया था. इस लिहाज से ये निजी विधेयक जनसंख्या कम करने पर नियम बनाने की आवश्कता पर बल देने का महज एक तरीका है.
क्या है जनसंख्या नियंत्रण बिल
इस बिल में दो या इससे अधिक बच्चों के होने पर माता-पिता को सरकारी सुविधाओं से वंचित रखने की सिफारिश की गई है. इसका उल्लघंन करने पर सरकारी नौकरी से हटाने, मतदान के अधिकार से वंचित करने, चुनाव लड़ने और राजनीतिक पार्टी का गठन करने के अधिकार से भी वंचित करने जैसे प्रावधान लागू करने की बात कही जा रही है. इसके उलट एक बच्चे वाले माता-पिता को सरकारी नौकरी में वरीयता देने जैसी बातों की भी सिफारिश की गई है
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जनसंख्या नियंत्रण कानून की फिर से चर्चा क्यों
आजादी के करीब दो दशकों बाद से ही जनसंख्या पर लगातार चर्चा हो रही है. लगातार बढ़ती जनसंख्या के बाद कई वरिष्ठों ने इसे जनसंख्या विस्फोट का भी नाम दिया था लेकिन 1970 के दशक में आपातकाल के दौरान जबरदस्ती कराए गए परिवार नियोजन के विनाशकारी अनुभवन के बाद राजनेताओं ने जनसंख्या विस्फोट जैसे शब्दों का उपयोग बंद कर दिया था. बीते दिनों से फिर से एक बार इस विषय पर चर्चा तेज है.
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Tags: Chhattisgarh news, Population Control Bill, Prahlad Patel, Raipur news
FIRST PUBLISHED : June 01, 2022, 18:20 IST
