
देखते-देखत म भोकवा बिहाव ले लइक होगे. सगा-सोदर के अवई-जवई शुरू होइस. जेन सगा आय तेंन पूछे के लइका का करथे. ओखर ददा बताय के गोबर बिंनथे. गोबर बेचथे. ओपन-परीक्षा दे के बारवीं पास हे. ओपन-परीक्षा म कोनो लुकाय-लुकीय के बात नइ होय. सब ओपन रहिथे. छत्तीसगढ़ म एला बेड़ा पार करइय्या परीक्षा कहिथें. एला पास करके मोर लइका गोबर बिने के लइक होगे. पटवारी परीक्षा म घलो बइठिस फेर ले-दे बर कुछु तो होना चाही न. ओखर बिन मोर भोकवा लटके रहिगे.
आधा लेड़गा, आधा हुशियार
कतको झन मन सलाह दिन तोर टूरा ह आधा लेड़गा अउ आधा हुशियार हे एला मास्टर बना दे ना. मोर भोकवा व्यापम के परीक्षा दिस. लेदे के पास घला होगे. फेर बाबू अउ साहेब एन मउका म झटका दे दिन. किहिंन ले-दे के इहाँ सुंदर रीत हे. नान-नान लइका मन ल पढ़ाय बर लगथे. उन कलेचुप कान म किहिंन’ सेवा करव. भोकवा पूछ बइठिस ‘का सेवा ददा ? बाबू हर साहेब डाहर देख के हाँसीस ‘ले-दे’ तहाँ ले काम म जा. भोकवा दुखी मन से किहिस-‘साहेब, गोबर बेचे ले अतेक आमदनी त होबे नइ करे के तुमन ल ले-दे के मास्टर बन पाँव’. ये सुन के बाबू झल्लागे. जोर से चिल्लइस-‘जा गोबर बिन’ अउ बाबू साहेब मोर भोकवा के नौकरी ल दूसर ल दे दिस. मोर टूरा बड़ दुखी होइस.
बासी -पसिया अउ अंगाकर रोटी
भोकवा मुहूँ लटकाय-लटकाय घर लहुटिस. मोला किहिस-‘ददा, मोर दिन-बादर गउ माता के सेवा म बितही. गोबर बिने अउ बेचे के लइक त मेंहा होगे हंव. चल इही रोजगार सही बासी -पसिया अउ अंगाकर रोटी के बेवस्था त होई जही, मिहनत-मजूरी करबो. सरकारी नौकरी बर रूपिया तउले बर लागथे.’ ददा तेंहा फिकर झन कर मेंहा तोला. दाई अउ डोकरी दाई ल पोस सकत हंव.’ बेटा के गोठ ल सुनके मोर छाती फूलगे. में ह भोकवा ल केहेंव-बेटा भगवान सब देखत हे.
दुलौरिन बेटी चंपा
भोकवा के ददा बिरझू ह फेर अपन टूरा के बिहाव करे बर सोचिस. भोकवा ओखर बड़ हुशियार लइका आय. किसानी बुता म टंच होगे राहय. बिहाव लगाय बर फेर सगा सोदर अइंन. बिरझू सबके बने सुवागत-सत्कार करिस. सगा किहिस-मोर नोंनी बड़ दुलौरिन हे सगा. कोनो बुता ल तियार देव झटपट कर डारथे. पढ़े बर दसवीं फेल हे . रांधे खवाय म अतराब के सबे टूरी मन ले जादा चतुरा हे. हिजगा-पारी करे बिना सब बुता करथे. नोंनी नाव हे चंपा. बेटी चंपा गोठियाय बतियाय म घलो छोटे बड़े के लिहाज करे बर जानथे. बिरझू अपन टूरा ल गुनिक बताय म कोई कसर नई छोडिस.
अपन गोड़ म खड़े होना
बिरझू किहिस-गौठान म गोबर ल तउलाय बिन मोर भोकवा घर नइ लहुटे. जादा पढ़ा, लिखा के का कर लेबे ? लइका जहाँ जादा पढिस तहाँ ले न बइला फांदे, न गोबर बिने के लइक राहय. हम अनपढ़ गंवार रेहेंन तभो ले अपन घर परवार ल चलात आवत हन. दाई-ददा मन हम ल अपन गोड़ म खड़े होय बर किहिन अउ हम झटकून अपन गोड़ म खड़े होगेन. दूसर के गोड़ म नाचे-कूदे, खड़े रेहे या भागे म सुख कहाँ होथे ? हम दुसर के मेंछा के बल म मेंछराना नइ चाहन. सगा बिरझू के गोठ ल सुन के गदगदागें. भोकवा सदा अपन ददा के पाछू म खड़े चुपचाप सियान सब के गोठ ल सुने. मन म लड्डू फूटे. भोकवा के बहिनी नोनी बुधियारिन के बिहाव होय पांच बरस होगे. दु लइका के महतारी हे. बेटी-दमाद बने कमावत-खात हें.हँसी खुशी म दिन बितत हे.
घर अंजोर होगे
सगा मन भोकवा ल देख-सुन के खुश होइन. टूरी ल देख सुन के बिरझू सोचिस. टूरी ह सुंदर अउ कमइलिन हे. न तामझाम ,न चटक-मटक सादा नर्बदा हे. झट बिहाव माड़गे. चट मंगनी पट बिहाव होगे. भोकवा के मजाक उड़इया मन के मुहूँ सिलागे. चटपट बुता करइया हँसमुख बहू के आय ले बिरझू के घर अंजोर होगे. गाँव भर म बिरझू क्र बहू के खूब बड़ई होय. चंपा सचमुच बिरझू के लछमी बहू सिद्ध होइस. भोकवा अउ चंपा मिल के बिरझू के नाव ल उंच कर दिन. बिरझू फूले न समाय. घर के हालत सुधरगे. गाँव म ओखर परवार के इज्जत बाढ़गे.
सुख-दुःख के गवाही
एक दिन भोकवा अपन घर म बेल पेड़ के खाल्हे म बइठे-बइठे बेल के पेड़ ल एकटक देखत राहय. ये वुही बेल पेड़ आय हमर सुख दुःख के संगी. घोर गरीबी म हमर पोषन करइया. मने मन बेल के पेड़ ल जय जोहार करिस. पेड़ ल पोटार के खुशी-खुशी म रोइस. भगवान शंकर के धियान धरिस. अतके म दु ठन पाका-पाका ममहावत बेल आ गिरिस. ओकर आ के चंपा बेल के फल ल उठाइस. प्रणाम करिस. भोकवा किहिस- आज फेर हम ल बेल पेड़ के आशीर्वाद मिलगे.हम धन्य होगेंन चंपा. हम दुनो भाई-बहिनी कइ बखत इही बेल के फल ल खा के अपन भूख मते हन. ये पेड़ हमर सुख-दुःख के गवाही हे. भोकवा चंपा ल किहिस समे बलवान होथे. सबके दिन फिरथे.
(शत्रुघ्न सिंह राजपूत छत्तीसगढ़ी के जानकार हैं, आलेख में लिखे विचार उनके निजी हैं.)
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FIRST PUBLISHED : June 06, 2022, 17:02 IST
