बिलासपुर. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में रविवार यानी आज भी एक मामले को लेकर सुनवाई हुई. ढाबे को लेकर आए मामले में रविवार को अवकाश के दिन भी कोर्ट खोला गया. जस्टिस पीसेम कोशी के सिंगल बेंच ने अर्जेंट सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत दी है. दरअसल बिलासपुर-रायपुर नेशनल हाईवे के बीच नांदघाट पुल के पास गोस्वामी फ़ैमिली ढाबा है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शैलेंद्र बाजपेयी ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता विवेक शुक्ला की जमीन ग्राम खैरा में थी.
सन 1951 में सड़क निर्माण के लिए एक एकड़ के क़रीब इनकी जमीन ली गई और बदले में सड़क के किनारे में जमीन दी गई. पिछले 35 वर्षों से संचालित ढाबे को कब्ज़ा बताते हुए 26 अप्रैल को नवागढ़ तहसीलदार ने एक नोटिस जारी किया और 30 अप्रैल को कब्ज़ा हटाने का आदेश जारी कर दिया. इसके खिलाफ़ ढाबा संचालक ने एसडीएम नवागढ़ के समक्ष अपील की जिसे एडीएम ने 16 जून को ख़ारिज कर दिया.
एकतरफा बिना सुनवाई के कार्यवाई के खिलाफ याचिकाकर्ता ने शनिवार को देर रात अर्जेंट याचिका दायर की थी. जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए आज संडे अवकाश के दिन कोर्ट का दरवाजा खोला. साथ ही इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने तहसीलदार द्वारा जारी कब्ज़ा हटाने और तोडफोड़ की कार्रवाई पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है. साथ ही याचिकाकर्ता को एसडीएम के समक्ष दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश भी दिए हैं.
अचानक 35 सालों बाद जागा प्रशासन
याचिकाकर्ता का कहना है कि करीब 35 सालों से उनका ढाबा चल रहा है. इसके पहले कोई आपत्ति नहीं जताई गई है. याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि प्रशासन की तरफ से आनन फानन में यह कार्रवाई की गई है. उन्होंने कहा कि 26 अप्रैल को नवागढ़ तहसीलदार ने एक नोटिस जारी किया और 30 अप्रैल को कब्ज़ा हटाने का आदेश जारी कर दिया. हालांकि अब कोर्ट ने तोड़फोड़ की कार्रवाई पर रोक लगा दी है. साथ ही दस्तावेज प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.
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Tags: Bilaspur news, Chhattisgarh news
FIRST PUBLISHED : June 26, 2022, 21:16 IST