रायपुर. छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के दूरस्थ वनांचल के नारायणपुर जिले में एक गांव है कुमगांव. घने जंगलों के बीच पहाड़ों से घिरे कुमगांव में 20-25 परिवारों के 120 लोग रहते हैं. इलाके की प्राकृतिक सुंदरता एक तरह से लोगों को बांध ही लेती है, लेकिन यह सुंदरता बाहर से गये लोगों को ही देखने में अच्छी लगती है. पहाड़ों की तराई में बसे इस गांव में रहने वाले लोग कुछ समय पहले तक बहुत कठिन परिस्थितियों में जीवन गुजारते थे. गांव में पहुंचने के लिए मात्र एक पगडंडी थी, जिसमें सायकल और दुपहिया वाहनों से चलना मुश्किल था. पहुंच मार्ग के अभाव में किसी भी गांव व क्षेत्र का विकास की बात करना महज कोरी कल्पना सी थी.
जिला प्रशासन नारायणपुर द्वारा इस गांव के लोगों की इस दिक्कत को दूर करने और उन्हें आवागमन की अच्छी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कुमगांव को जोड़ने सड़क बनाने का दुरूह कार्य कर दिखाया. घोर नक्सल प्रभावित इस गांव इस अनसर्वेड गांव का मसाहती सर्वे भी कराया गया. शासन-प्रशासन के इस प्रयास से अब यहां जरूरी सुविधायें पहुंचने लगी हैं. नक्सल प्रभावित सुदूर वनांचल के निवासी जो वर्षों से शासन की योजनाओं से जुड़ नही पा रहे थे और आवागमन की समस्या से जूझ रहे थे. वहां मसाहती सर्वे पूर्ण होने और सड़क बनने से परिस्थितियां अब बदल गई हैं.
शासन की योजनाओं का लाभ
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर नारायणपुर के अबुझमाड़ क्षेत्र के ऐसे गांव जिनका सर्वे नहीं हुआ है, उनका मसाहती सर्वे पूरा कराकर इन गांवों के लोगों को शासन की योजनाओं से लाभान्वित किया जा रहा है. जिला प्रशासन का दावा है कि कुमगांव में अब सड़क है, बिजली है, पीने का साफ पानी है, स्कूल है और स्कूल में शिक्षक हैं. सड़क न बनने से यहां यह सुविधा आसानी से नहीं मिल पाती थी. कुछ समय पहले तक यह सब बुनियादी सुविधाएं यहां के लोगों के लिए सपना थीं. कुमगांव की रानो दुग्गा और मंगाया दुग्गा ने बताया कि सदियों से बसे इन गांवों में लगभग 120 लोग रहते हैं. कुछ महीने पहले इस गांव तक पहुंच पाना ही सबसे बड़ी समस्या होती थी. इस गांव तक पहुंचने के लिए एकमात्र साधन पगडंडी थी. इस पगडंडी से लोग लाठी का सहारा लेकर ही यहां से आते जाते थे. हमें पहले शासन की योजना का लाभ नही मिल पाता था, अब हमारे गांव का सर्वे पूर्ण हो गया है.
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Tags: Bastar news, Chhattisgarh news
FIRST PUBLISHED : June 24, 2022, 07:49 IST