आरक्षण विधेयक पर राजभवन में आज छठवें दिन भी नहीं हुए दस्तख़त, CM बघेल बगैर नाम लिए बोले – ये कैसे संकेत समझा जा सकता है
छत्तीसगढ़ :- आरक्षण मसले पर विधानसभा से सर्वसम्मति से पास विधेयक को आज छठवें दिन भी राजभवन से अनुमति नहीं मिली है। बीते 2 दिसंबर को पाँच कैबिनेट मंत्रियों ने विधेयक सीधे राज्यपाल को सौंपा था।
राज्यपाल सुश्री अनुसूइया उइके ने अगले दिन इस पर विधि परामर्श लेने की बात कही थी। लेकिन आज भी इस विधेयक को राजभवन से हरी झंडी नहीं मिली है।
राज्यपाल की चिंता कोर्ट गया कोई तो..! खबरें हैं कि राज्यपाल की चिंता विधेयक का क़ानूनी पहलू है। सुप्रीम कोर्ट ने पचास फ़ीसदी की व्यवस्था तय कर रखी है,
लेकिन यह विधेयक आरक्षण में उस पचास फ़ीसदी की बाध्यता को पार करता है।वहीं विधानसभा में विपक्ष इस विधेयक को समर्थन तो दे गया है लेकिन उसकी ओर से यह प्रश्न भी किया गया कि,
इसी मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है, आरक्षण का मसला न्यायालय में है, ऐसे में इस पर विधानसभा कोई प्रस्ताव या कि विधेयक यदि पारित कर दे और सुप्रीम कोर्ट से विपरीत आदेश हो जाए तो क्या होगा।
विपक्ष ने सदन में कहा थाजबकि यह विधेयक पास किया जा रहा था, विपक्ष की ओर से वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर ने कहा था“क़ानूनी पेंच के अतिरिक्त कुछ अन्य नियम गत विषय हैं, विधानसभा यह समीक्षा कर ले कहीं हम ग़लत तो नहीं कर रहे हैं”
बोले सीएम बघेल – ये कैसे संकेत हैं, समझा जा सकता हैआरक्षण विधेयक पर राज्यपाल के यहाँ से दस्तख़त ना होने के मसले पर पत्रकारों ने सीएम बघेल से सवाल किया कि कहीं ऐसा तो नही कि राजभवन के रास्ते BJP रोकने की कोशिश कर रही है।पत्रकारों ने राजभवन के कोर्ट वाली शंका पर भी सवाल किए।
सीएम बघेल ने कहा“राज्यपाल जी.. राजभवन से जो बयान आया था..हम लोग तो उसी को मानेंगे.. जैसे विधानसभा प्रस्ताव पारित होगा तत्काल हस्ताक्षर किया जाएगा
लेकिन अभी तक तो नहीं हुआ है।किसी को कोर्ट जाने से रोका जा सकता है क्या ?कोर्ट में क्या फ़ैसला होगा इसका पहले से कोई कैसे अनुमान लगा सकता है।
अभी से कुछ कहना तो.. लेकिन जिस हिसाब से राज्यपाल महोदया ने जो बयान दिया था,कि तत्काल होगा और जिस प्रकार से रुक रहा है तो ये किस प्रकार के संकेत हैं समझा जा सकता है।