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राजीव भवन में प्रथम प्रधानमंत्री प्रियदर्शनीय इंदिरा की जयंती पर याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई……

राजीव भवन में प्रथम प्रधानमंत्री प्रियदर्शनीय इंदिरा की जयंती पर याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई….

जगदलपुर :- ऐतिहासिक निर्णय के साथ-साथ दृढ़ निश्चय, साहसपूर्ण पहल और देश के हित में सर्वोच्च त्याग एवं बलिदान के लिए सदैव याद किया जाता रहेगा – राजीव शर्मा

बस्तर जिला कांग्रेस कमेटी शहर द्वारा राजीव भवन में भारत की पहली सशक्त महिला प्रधानमंत्री प्रियदर्शनीय इंदिरा गाँधी की जयंती सादगी व गरिमा के मनाई गई कांग्रेसियों ने उनके छायाचित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी तत्पश्चात विचार संगोष्ठी का आयोजन किया।

जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष एवं इविप्रा उपाध्यक्ष राजीव शर्मा ने अपने उद्धबोधन में कहा कि भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी एक अजीम शख्यियत थीं।

उनके अंदर गजब की राजनीतिक दूरदर्शिता थी इंदिरा का जन्म 19 नवंबर, 1917 को हुआ पिता जवाहर लाल नेहरू आजादी की लड़ाई का नेतृत्व करने वालों में शामिल थे वही दौर रहा, जब 1919 में उनका परिवार बापू के सानिध्य में आया और इंदिरा ने पिता नेहरू से राजनीति का ककहरा सीखा।

प्रियदर्शनीय को दृढ़ निश्चय साहसपूर्ण पहल और देश के हित में सर्वोच्च त्याग एवं बलिदान के लिए सदैव याद किया जाता रहेगा। उन्होंने लंबी अवधि के दौरान अनेक ऐतिहासिक निर्णय लिए जैसे बैंकों का राष्ट्रीयकरण, प्रीवियस की समाप्ति, सहित गरीबी हटाओ एवं हरित क्रांति कार्यक्रम इनकी महत्वपूर्ण देन है

इनके द्वारा प्रारंभ किया गया 20 सूत्री कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गरीब वर्ग के लोगों के पिछड़ेपन में सुधार लाकर उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाना था वे प्रतिक्रियावादियों की विरोधी थी और राष्ट्रीय सामंजस्य के लिए सदैव प्रयत्नशील रहती थी देश की सर्वाधिक उन्नति, विकास, खुशहाली और देश की एकता बनाए

रखने के लिए उन आदर्शों की रक्षा के लिए तथा दुनिया में भारत को गौरवपूर्ण स्थान दिलाने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा दी। गरीबी मुक्त भारत इंदिरा का एक सपना था आज भी वह सपना साकार नहीं हो पाया है सभी लोगों को भारत से गरीबी को मिटाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए,

ताकि उनके सपने को हकीकत में तब्दील किया जा सके। इन्हीं के आदर्शों पर हमारे गणतंत्र की एकता एवं अखंडता टिकी हुई है जिन्हें सादर पूर्वक नमन कर श्रद्धांजलि व्यक्त करता हूं।

संसदीय सचिव/विधायक रेखचन्द जैन ने कहा कि प्रियदर्शनीय इन्दिरा गांधी जी का जन्म 19 नवंबर 1917 में पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनकी पत्नी कमला नेहरू के यहाँ हुआ,

वे उनकी एकमात्र संतान थीं इंदिरा के पितामह मोतीलाल नेहरू उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से एक धनी बैरिस्टर थे मात्र 11 साल की उम्र में उन्होंने ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए बच्चों की वानर सेना बनाई।

1938 में वह औपचारिक तौर पर इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल हुईं और 1947 से 1964 तक अपने प्रधानमंत्री पिता नेहरू के साथ उन्होंने काम करना शुरू कर दिया। ऐसा भी कहा जाता था कि वह उस वक्त प्रधानमंत्री नेहरू की निजी सचिव की तरह काम करती थीं,

हालांकि इसका कोई आधिकारिक ब्यौरा नहीं मिलता। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को राजनीति विरासत में मिली थी और ऐसे में सियासी उतार-चढ़ाव को वह बखूबी समझती थीं

यही वजह रही कि उनके सामने न सिर्फ देश, बल्कि विदेश के नेता भी उन्नीस नजर आने लगते थे अत: पिता के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी में इंदिरा गांधी का ग्राफ अचानक काफी ऊपर पहुंचा और लोग उनमें पार्टी एवं देश का नेता देखने लगे। वह सबसे पहले लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनीं।

शास्त्री जी के निधन के बाद 1966 में वह देश के सबसे शक्तिशाली पद ‘प्रधानमंत्री’ पर आसीन हुईं। 1975 में आपात कालीन लागू करने का फैसला करने से पहले भारतीय राजनीति एक ध्रुवीय सी हो गई थी

जिसमे चारो तरफ इंदिरा ही इंदिरा नजर आती थी। इंदिरा की ऐतिहासिक कामयाबियों के चलते उस समय देश में ‘इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा’ का नारा जोर-शोर से गूंजने लगा ऐसी शक्तिशाली भारतीय नारी की जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन करते श्रद्धाजंलि व्यक्त करता हूँ और उनके पदचिन्हों पर चलने की कांग्रेसजनों से अपेक्षा करता हूँ।

सभापति कविता साहू,जिला महामंत्री अनवर खान,कौशल नागवंशी, अपर्णा बाजपई,सुशील मौर्य,योगेश पाणिग्रही, अजय बिसाई ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते कहा कि प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को राजनीति विरासत में मिली थी

और ऐसे में सियासी उतार-चढ़ाव को वह बखूबी समझती थीं यही वजह रही कि उनके सामने न सिर्फ देश, बल्कि विदेश के नेता भी उन्नीस नजर आने लगते थे

अत: पिता के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी में इंदिरा गांधी का ग्राफ अचानक काफी ऊपर पहुंचा और लोग उनमें पार्टी एवं देश का नेता देखने लगे वह सबसे पहले लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनीं शास्त्री जी के निधन के बाद 1966 में वह देश के सबसे शक्तिशाली पद ‘प्रधानमंत्री’ पर आसीन रही।

कार्यक्रम में प्रदेश/ जिला/ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी, सेवादल/महिला कांग्रेस/युवक कांग्रेस/एनएसयूआई सहित अन्य मोर्चा/प्रकोष्ठ/विभाग के पदाधिकारी/समन्वय समिति/सोशल मीडिया के प्रशिक्षित सदस्यों,नगर निगम/त्रि-स्तरीय पंचायत/सहकारिता क्षेत्र के सभी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों , वरिष्ठ कांग्रेसी व कार्यकर्तागण उपस्थित थे।

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