जगदलपुर : अंतिम अगहन गुरुवार को मां अन्नपूर्णा महालक्ष्मी की हुई पूजा
जगदलपुर। हिंदू पंचाग के अनुसार अगहन माह के पांचवे और अंतिम गुरुवार को महिलाएं व्रत रखने के साथ ही ब्रम्हा मुहूर्त पर माता अन्नपूर्णा महालक्ष्मी की पूजा अर्चना की गई।
अगहन माह के आखिरी गुरुवार को अन्नपूर्णा महालक्ष्मी की पूजा कर स्वस्थ, धन-वैभव और परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना की गई।
इसके पूर्व बुधवार की शाम को माता लक्ष्मी की स्वागत के लिए घर-आंगन को सफेद अल्पना से सजाया गया था। रियासत कालीन जगन्नाथ मंदिर में स्थित महालक्ष्मी मंदिर के खंड में भी विशेष पूजा संपन्न की गई।
बस्तर अंचल में अगहन माह के गुरुवार को अन्नपूर्णा महालक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है। अगहन माह के प्रथम गुरुवार से अंतिम पांचवे गुरुवार तक हर घर में मां अन्नपूर्णा महालक्ष्मी की स्थापना कर पूजा संपन्न किये जाने की परंपरा का निर्वहन किया जाता है।
इस वर्ष अगहन माह में पांच गुरुवार रहा, जब कि सामान्यत: अगहन माह में चार गुरुवार ही होता है। ब्रह्म मुहूर्त पर अगहन पूजा करने का विधान है, इसलिए व्रती महिलाओं ने बुधवार शाम को ही माता की पूजा-अर्चना के लिए तैयारी कर ली गई थी।
घर के मुख्य द्वार से लेकर आंगन और पूजा स्थल तक चावल को भिगाकर उसे पीसकर बनाये गये घोल से आकर्षक आकृतियां बनाई गई, इसे अल्पना कहा जाता है।
इन आकृतियों में माता लक्ष्मी के पद विशेष रूप से बनाए जाते हैं। गुरुवार को माता लक्ष्मी के सिंहासन स्थापित कर आंवला एवं औषधीय युक्त फूल-पान अन्न के भंड़ार से सुसज्जित कर कलश की स्थापना कर माता लक्ष्मी की पूजा की गई।
भक्तिभाव से पूजा अर्चना के साथ ही अगहन माह में होने वाली मां अन्नपूर्णा महालक्ष्मी की पूजा का परायण आगामी वर्ष के अगहन माह के गुरुवार के लिए किया गया।