साहित्य ऋषि लाला जगदलपुरी व्यक्ति नहीं संस्था थे : रेखचंद जैन
जगदलपुर :- छत्तीसगढ़ सरकार ने ग्रंथालय के नामकरण के साथ उनके नाम पर सम्मान भी देना प्रारंभ किया
जयंती पर आयोजित कवि सम्मेलन में संसदीय सचिव ने शिरकत की
साहित्य ऋषि लाला जगदलपुरी बस्तर अंचल ही नहीं अपितु समूचे राज्य में ख्यात थे। वे व्यक्ति नहीं संस्था थे जिनके सानिध्य में आकर अनेक साहित्यकारों व कवियों ने ऊंचा मुकाम हासिल किया है।
शनिवार रात्रि संभाग मुख्यालय के लाला जगदलपुरी जिला ग्रंथालय परिसर में आयोजित कवि सम्मेलन को संबोधित करते जगदलपुर विधायक व संसदीय सचिव छग शासन रेखचंद जैन ने यह उदगार व्यक्त किया।
उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के आने के बाद से न केवल आंचलिक संस्कृतियों का संरक्षण किया जा रहा है बल्कि साहित्य, कला और रंगकर्म जैसे क्षेत्रों से जुड़े व्यक्तियों को मान- सम्मान देने की परिपाटी भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में प्रारंभ की गई है।
वर्ष 2022 में जगदलपुर में जिला ग्रंथालय का नामकरण लाला जगदलपुरी के नाम पर करने के साथ राज्य स्तरीय सम्मान भी देना प्रारंभ किया गया है।
उन्होने कार्यक्रम के प्रारंभ में कवि सम्मेलन में पधारे कवियों व कवयित्रियों को कार्यक्रम अध्यक्ष व इंद्रावती विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष राजीव शर्मा तथा महापौर सफिरा साहू के साथ साल- श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया।
जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रेखचंद जैन, कार्यक्रम अध्यक्ष व इंद्रावती विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष राजीव शर्मा, विशिष्ट अतिथि एमआईसी सदस्य यशवर्धन राव,
मोती लाल नेहरु वार्ड पार्षद आलोक अवस्थी ने ओजस्वी संबोधन देकर लाला जगदलपुरी के जीवन पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम पश्चात रेखचंद जैन व आलोक अवस्थी ने कवियों के आग्रह पर उनके साथ समूह फोटो भी खिंचवाया।
इस दौरान कवि जोगेन्द्र महापात्रा जोगी, अवध किशोर शर्मा, नरेंद्र पाढ़ी, उर्मिला आचार्य, शशांक श्रीधर शेन्डे, सनत कुमार जैन, पूर्णिमा सरोज, बाबू बैरागी, अनिल शुक्ला, शतरूपा मिश्रा, भरत गंगादित्य, रामेश्वर प्रसाद चंद्रा, सुषमा यादव, ज्योति चौहान, गीता शुक्ला आदि ने लाला जगदलपुरी को समर्पित रचनाओं का पाठ किया।
इस दौरान जिला शिक्षा अधिकारी भारती प्रधान, आयोजन समिति के सदस्य विजेंद्र डोंगरे, शशिकान्त गौतम, पवन दीक्षित, नलीन शुक्ला, अलेक्जेंडर चेरियन, कोटेश्वर राव, शोएब अंसारी तथा अन्य मौजूद थे। कार्यक्रम संचालन हरेन्द्र सिंह राजपूत ने किया।