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समूह की महिलाएं कोसा उत्पादन से चुन रही स्वावलंबन की राह…..

समूह की महिलाएं कोसा उत्पादन से चुन रही स्वावलंबन की राह

रेशम के उत्पादन से मिली नई आजीविका के साथ अपनी जीवन संवार रही दीदीया

दंतेवाड़ा :- रेशम कीट पालन से ग्रामीण वासियों की आर्थिक स्थिती को मजबूत कर रही है। आज रेशम पालन आय की अतिरिक्त जरिया का आधार बना हुआ है।

इसी तरह दंतेवाड़ा जिले में कभी आर्थिक संकट का सामना कर रहे समूह की दीदीयों के पास अब आय का मजबूत और सार्थक जरिया है। महिलाएं रेशम पालन से जुड़ कर अपने आप को सक्षम कर रही है।

रेशम विभाग दन्तेवाड़ा द्वारा जिले मे कोसा उत्पादन कार्य एवं अन्य रेशम से सबन्धित गतिविधियां की जा रही है। विशेषकर ग्रामीण महिलाए विभाग की रेशम कीटपालन योजना को अपने आय का अतिरिक्त जरिया बना रही है।

रेशम केन्द्र चितालंका में कार्यरत महिला रेशम कृमिपालन समिति द्वारा शहतूती रेशम कीटपालन कार्य किया जाता है जिसमे रेशम के कीटो को शहतूत पत्तीयो का भोजन प्रदान करना,

समय पर रसायन का छिडकाव करना कीटभक्षियों से उनकी रक्षा करना एवं कीटों के व्यस्क होने के उपरान्त कोसा निर्माण तक उनकी देखभाल करना आदि कार्य शामिल है।

महिलाओ द्वारा वर्तमान में 300 स्वरथ डिम्ब समूह रेशम कीटो का कृमिपालन कार्य किया गया। उत्पादित कोसाफल की बिक्री पश्चात् उन्हें 32 हजार 725 रूपये की आमदनी प्राप्त हुई।

यह कार्य समिति की 5 महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। जिससे उन्हें एक माह के समय में छः से सात हजार रूपये का मुनाफा प्राप्त हुआ। रेशम योजना से प्राप्त हो रहे अर्थिक लाभ से महिलाएं सन्तुष्ट है,

उनकी जीवन शैली में सकारात्मक प्रभाव आया है। शासन द्वारा प्रदाय किए जा रहे रोजगार के साधन से समूह की महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं। वर्तमान में महिलाएं 150 स्वस्थ डिम्ब समूह कृमिपालन कार्य कर रही है

तथा उत्पादित कोसे को विक्रय कर वे अच्छे लाभ की आशा रखती है। रेशम रोजगार से जुड़कर प्राप्त हो रही अतिरिक्त आमदनी से समिति की महिलाएं सतुष्ट एवं प्रसन्न है।

साथ मिलकर कार्य करने से महिलाओं के मध्य सकारात्मक प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत हो रही है। इससे महिलाए अपना काम मन लगाकर करती है तथा उत्पादन भी अपेक्षाकृत अधिक प्राप्त होता है

जिससे प्राप्त हो रही राशि से उनके जीवन स्तर में अच्छा बदलाव देखने को मिल रहा है तथा अर्जित आय से वे घरेलू आवश्यक्ताओं की पूर्ति करते हुए

अपने परिवार के लिए आवश्यक सुविधाए भी जुटा रही हैं। रेशम कीटपालन योजना के अनुकूल परिणाम को देखते हुए भविष्य में भी यह महिलाए इस रोजगार साधन से जुडे रहने की इच्छा रखती है।

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