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कोरबा : प्रोफेसर ने देहदान का लिया संकल्प, परिजनों को मरणोपरांत अंतिम इच्छा पूरी करने दी जिम्मेदारी….

कोरबा : प्रोफेसर ने देहदान का लिया संकल्प, परिजनों को मरणोपरांत अंतिम इच्छा पूरी करने दी जिम्मेदारी

कोरबा। कमला नेहरू महाविद्यालय के प्रोफेसर ओमप्रकाश साहू ने अपना देहदान करने का संकल्प लिया है। उन्होंने स्व. बिसाहू दास महंत स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय में मृत्यु उपरांत शरीर दान करने का घोषणा पत्र भी जमा कर दिया है। उन्होंने अपनी पत्नी दुर्गेश साहू व पुत्र गौरव साहू को मरणोपरांत अपनी इस अंतिम इच्छा पूरी करने की जिम्मेदारी है।

भारत सेवा की संस्कृति, संवेदना और संस्कारों का देश है। हम मानव सेवा को ईश्वर सेवा मानते हैं। पर आज के दौर में संवेदनशीलता एक लुप्तप्राय शब्द बनता जा रहा।

हमारे बच्चे, जो कल के चिकित्सक हैं, वे शरीर में दर्द लेकर आने वाले मरीज की पीड़ा महसूस करें। संवेदनशील बनें, लोगों की सेवा के लिए मन में समर्पण का भाव रखें। मस्तिष्क में दक्षता व हाथों में कुशलता धारण करें और यही उम्मीद रखते हुए मैंने देहदान का संकल्प धारण किया है।

यह बातें कोरबा मेडिकल कॉलेज में मरणोपरांत अपना शरीर चिकित्सा शिक्षा के लिए अर्पित करने का संकल्प लेकर दूसरे देहदानी बने ओमप्रकाश साहू ने कही।

साहू ने बीते दिनों देहदान का निर्णय लेते हुए मेडिकल कॉलेज में संकल्प पत्र भरा है। कोरबा मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी (शरीर रचना विभाग) डिपार्टमेंट के प्रभारी डॉ. जाटवर ने सोमवार को जानकारी देते हुए बताया

कि साहू का यह संकल्प पूरा करने की जिम्मेदारी उनकी धर्मपत्नी दुर्गेश साहू एवं पुत्र गौरव साहू निभाएंगे। उत्तराधिकारी के तौर पर अंतिम इच्छा पूर्ण करते हुए

वे मेडिकल कॉलेज अंतर्गत शरीर रचना विभाग (एनॉटॉमी) के अधिकारियों को सूचित करेंगे। आनंदम अपार्टमेंट सी-202 शारदा विहार वार्ड-12 में रहने वाले ओमप्रकाश साहू, कमला नेहरू महाविद्यालय कोरबा में वाणिज्य विभाग में सहायक प्राध्यापक हैं।

संकल्प पत्र भरने के साथ ही साहू कोरबा मेडिकल कॉलेज के दूसरे देहदानी भी बन गए हैं। उन्होंने अपने इस निर्णय के बारे में बताते हुए कहा कि बचपन में शिक्षा व सामाजिक जागरुकता के सक्रिय रहे हैं।

एक दिन दिमाग में विचार आया कि जीवित रहते तो समाज के लिए कुछ कर पाने की सोच है, पर मृत्यु के बाद तो यह देह मिट्टी में मिल जाएगी। तब उसके बाद हम कैसे समाज को अपना योगदान दे सकेंगे। बस यही विचार आया तो हमारे जाने के बाद हमारी देह मानव के काम आए।

इसके बाद उन्होंने अपनी धर्मपत्नी समेत परिवार से चर्चा की। उन्होंने भी परिवार के मुखिया के इस पुनीत निर्णय का स्वागत करते हुए सहमति दे दी।

मानव हित व चिकित्सा जगत के लिए सर्वोत्तम दान ; डीन डॉ. अविनाश मेश्राम

कोरबा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अविनाश मेश्राम ने कहा कि साहू की यह पुनीत पहल मानव जगत एवं चिकित्सा जगत के हित की दृष्टि से सर्वोत्तम दान है। इसके फल स्वरूप चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को मानव देह को जानने व गहन अध्ययन करने में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी

और वे कुशल चिकित्सक बन सकेंगे। उन्होंने बताया कि देहदान के बाद सॉल्यूशन उसे प्रिजर्व किया जाता है। फिर डिसेशन होता है।

इसके लिए एक फॉर्म भरा जाता है, जिसकी एक प्रति मेडिकल कॉलेज तो दूसरी प्रति उनके बताए रिश्तेदार के पास होती है। देहावसान के बाद रिश्तेदार कॉलेज प्रबंधन को सूचित करेंगे और देहदान की कार्यवाही पूर्ण की जाती है।

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