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राजनांदगांव : सुरगी के किसानों के लिए वरदान बनी सौर सामुदायिक सिंचाई परियोजना…..

राजनांदगांव : सुरगी के किसानों के लिए वरदान बनी सौर सामुदायिक सिंचाई परियोजना

राजनांदगांव / रायपुर। राजनांदगांव जिला के ग्राम सुरगी के किसानों की तकदीर बदली और उनकी जिंदगी बदली है। शासन की सौर सामुदायिक सिंचाई परियोजना उनके जीवन में समृद्धि एवं खुशहाली लेकर आई है। किसानों के सिंचाई की व्यवस्था करने के लिए क्रेडा विभाग द्वारा महत्वपूर्ण कार्य किये जा रहे हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण के अध्यक्ष मिथिलेश स्वर्णकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के ऐसे स्थलों जहां स्टाप डैम, बैराजों एवं ऐसे जल स्रोतों जहां पर्याप्त मात्रा में सरफेस वाटर उपलब्ध है

वहां सौर सामुदायिक सिंचाई योजना के माध्यम से सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई पंप के साथ-साथ सिविल अधोसंरचना एवं पाईप लाईन विस्तार कर सिंचाई कार्य किया जा रहा है।

यह सब संभव हो सका जल संसाधन विभाग के वित्तीय सहयोग से क्रेडा द्वारा जिले में प्रथम सौर सामुदायिक सिंचाई परियोजना के क्रियान्वयन के माध्यम से।

सामुदायिक सिंचाई परियोजना

जिला मुख्यालय राजनांदगांव से लगभग 20 किलोमीटर दूर ग्राम सुरगी स्थित है। जहां सुरगी एनीकट में सिंचाई हेतु पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध रहता है परन्तु स्थल,

विद्युत बाधित होने एवं डीजल पंपों में आवश्यकता से अधिक व्यय होने के कारण ग्राम सुरगी के किसान सुरगी एनीकट के जल का समुचित उपयोग सिंचाई हेतु नहीं कर पाते थे। ऐसे में सिंचाई के लिए बारिश की उम्मीद में आसमान की ओर ताक रहे राजनांदगांव विकासखंड ग्राम सुरगी के किसानों को अब संजीवनी मिल गई है।

अब यहां के किसानों को सिर्फ मानसूनी बारिश पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा क्योंकि क्रेडा द्वारा इंदिरा गांव गंगा योजना के तहत जल संसाधन विभाग के वित्तीय सहयोग से 10 एच.पी. क्षमता के 2 एवं 15 एच.पी. क्षमता के 1 सोलर सामुदायिक सिंचाई पंप (सोलर पंप) का स्थापना कार्य किया गया है।

जिसमें 3 तालाबों में जिसका रकबा 4.23 हेक्टेयर है तक पाईप लाईन विस्तार कर सुरगी एनीकट में खरखरा नदी का पानी भरा जा रहा है

जिससे आम नागरिकों को निस्तारी, पशुओं हेतु पानी की व्यवस्था के साथ-साथ इन तालाबों से लगे हुए कृषकों के खेतों में जिसका कुल रकबा 200 एकड़ में पानी सिंचित किया जा सके व किसान आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो सके।

इस योजना के तहत सोलर पंप लगने के उपरान्त किसानों को विद्युत हेतु किसी भी प्रकार का बिजली बिल नहीं देना पड़ेगा व किसानों को अनावश्यक खर्चो से मुक्ति मिलेगी

जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी तथा शासन को भी बिजली की बचत करने में मदद मिलेगी। निश्चित ही आम नागरिकों एवं कृषकों को लाभ मिलने के साथ-साथ पंप स्थापित करने से औसत लगभग प्रतिदिन 120 से 150 यूनिट अर्थात माह में 3600 से 4500 यूनिट तक की बिजली की बचत होगी

जिसकी अनुमानित बचत राशि प्रतिमाह 28800 से 36000 तक होगी अर्थात लगभग 2421 किलो कोयला की बचत एवं कोयले के जलने से उत्सर्जित होने वाले कॉर्बन डाईऑक्साईड व धुंए से मुक्ति मिलेगी।

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