देवउठनी एकादशी कल… 10 करोड़ बाल विवाह के खतरे से दुनिया चिंतित, रोकने के लिए सरकार ने उठाया कदम…
रायपुर। देवउठनी एकादशी यानी चार नवंबर से वैवाहिक मुहूर्त शुरू हो रहा है. इसी बीच यूनिसेफ की एक रिपोर्ट ने देश-दुनिया को चिंता में डाल दिया है.
रिपोर्ट के अनुसार, इस कुप्रथा को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर कदम नहीं उठाए गए तो साल 2030 तक 10 करोड़ से अधिक और बच्चियों को बाल विवाह के बंधन में बांध दिया जाएगा.
भारत में सबसे ज्यादा बाल विवाह अक्षय तृतीया और देवउठनी एकादशी के दिन अधिक होते हैं. कोरोना काल के बाद यह पहला मौका होगा जब बगैर किसी बंदिश के शादियां होंगी. इनमें नाबालिगों का विवाह होने की आशंका अधिक होती है. इस स्थिति को देखते हुए प्रदेश सरकार ने तैयारी कर ली है.
ग्रामीण टीम की महत्वपूर्ण भूमिका
महिला एवं बाल विकास विभाग छत्तीसगढ़ के प्रयासों बाल विवाह जैसे अभिशाप को कम करने अहम भूमिका निभाई है. बाल विवाह को रोकने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका विभाग की ओर से बनाई बाल संरक्षण समितियों और उनकी ग्रामीणों क्षेत्रों में कार्य कर रही टीम की है.
ये समितियां दिन-रात वैवाहिक गतिविधियों पर निगाह रखती है. संदेह होने पर तुरंत प्रशासन को इसकी जानकारी देती है. पुलिस-विभाग के अफसर मौके पर पहुंचकर समझाइश देते हुए बाल विवाह रुकवा देते हैं. प्रदेश मेें कुल ग्रामों की संख्या 4637 है.
प्रदेश में नौ प्रतिशत घटे मामले
सरकार की सक्रियता पर नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट ने मुहर लगाई है, जिसमें बताया गया है कि छत्तीसगढ़ में 2015-16 में बाल विवाह का आंकड़ा 21.3 प्रतिशत था.
यानी पांच साल में 9.2 प्रतिशत बाल विवाह कम तो हुए. अब भी प्रदेश में 12.1 प्रतिशत (यानी 100 में 12) किशोरियों की शादी 18 वर्ष से पहले हो रही है. इस रिपोर्ट में गंभीर बात यह आई है कि बाल विवाह की वजह से यहां की 3.14 किशोरियां 15-19 की उम्र में ही मां बन गईं.
देश में हमारी स्थिति
देश में छत्तीसगढ़ की स्थिति पड़ोसी राज्यों से बेहतर है. ओडिशा, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, यूपी, राजस्थान, गुजरात, बिहार और झारखंड से कम छत्तीसगढ़ में बाल-विवाह हुए.
रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में 100 में सर्वाधिक 42 लड़कियों की शादी 18 वर्ष से कम उम्र में हुई. यह संख्या बिहार में 40 प्रतिशत झारखंड में 32.2 प्रतिशत, आंध्रप्रदेश में 29.3 प्रतिशत, राजस्थान में 25.4 प्रतिशत, मध्यप्रदेश में 2&.1 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 21.9 प्रतिशत, गुजरात में 21.8 प्रतिशत, ओडिशा में प्रतिशत और उत्तरप्रदेश में 12.1 प्रतिशत है.
कड़वा सच- भारत में सबसे अधिक बाल विवाह
अनुमानित तौर पर भारत में प्रत्येक वर्ष, 18 साल से कम उम्र में करीब 15 लाख लड़कियों की शादी होती है, जिसके कारण भारत में दुनिया की सबसे अधिक बाल वधुओं की संख्या है, जो विश्व की कुल संख्या का तीसरा भाग है. 15 से 19 साल की उम्र की लगभग 16 प्रतिशत लड़कियां शादीशुदा हैं.
यूनिसेफ की रिपोर्ट में यह भी
बाल विवाह के सबसे अधिक मामले पश्चिमी और मध्य अफ्रीका में सामने आए. साल 2016 में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या फंड के साथ यूनिसेफ ने बांग्लादेश, बुर्किना फासो, इथियोपिया, घाना,
भारत, मोजांबिक, नेपाल, निगर, सिएरा लियोन, युगांडा, यमन और जांबिया जैसे सबसे अधिक संख्या में बाल विवाह वाले 12 देशों में बाल विवाह को रोकने के लिए एक वैश्विक कार्यक्रम की शुरुआत की थी.
वैश्विक लक्ष्य 20&0 तक बाल विवाह प्रथा को खत्म करना है. रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि यदि सभी लड़कियां हायर एजुकेशन जारी रखती हैं, तो यह संख्या 80त्न तक गिर जाएगी. लड़कियोंं की माध्यमिक शिक्षा, प्राथमिक स्कूली शिक्षा की तुलना में बाल विवाह के खिलाफ अधिक मजबूत और अधिक सुसंगत सुरक्षा है.
फील्ड में तैनात अमले को किया सतर्क
जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी शैल ठाकुर बताती हैं कि अक्षय तृतीया और देवउठनी एकादशी ऐसे अवसर होते हैं, जब बिना मुहूर्त के विवाह होते हैं. इस दौरान बाल विवाह के प्रकरण सामने आने पर कार्रवाई की जाती है.
देवउठनी एकादशी पर बाल विवाह को रोकने के लिए फील्ड में तैनात अमले को सतर्क कर दिया गया है. कहीं से भी बाल विवाह की सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस की मदद से कार्रवाई की जाएगी. पिछले साल हमने रायपुर जिले में 11 बाल विवाहों को रोकने में कामयाबी पाई थी.