अब इलेक्ट्रिक बुल से जुताई-बुआई, ज्यादा रकबे में होगी फसल तैयार..…
OFFICE DESK :- सोशल मीडिया पर इंजीनियर दंपती का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसे किसान भाई काफी पसंद कर रहे हैं.
नासिक जिले के अंदरसुल गांव ने इंजीनियर तुकाराम सोनवणे और उनकी पत्नी सोनल वेलजाली ने एक ‘इलेक्ट्रिक बुल’ बनाया और खेती से जुड़ी कई समस्याओं का हल निकालने की कोशिश की.
इनोवेटिव मशीन उन किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है, जो ट्रैक्टर खरीदने या किराए पर लेने का जोखिम नहीं उठा सकते या जिनके पास कम एकड़ जमीन है.

मशीन की खासियत
- एक बार फुल चार्ज होने पर यह इलेक्ट्रिक बुल चार घंटे तक काम करता है.
- जमीन के पारंपरिक तरीके से रख-रखाव में पर 50,000 रुपए लगते हैं. लेकिन इस उपकरण से केवल 5,000 में काम हो जाता है.
- लागत घटकर 1/10 हो जाती है. इसके अलावा, जिसे सिंगल फेज इकाई पर सिर्फ 2 घंटे में चार्ज किया जा सकता है.
- ये प्रोडक्ट अपने सेगमेंट में पहला एक्सल-लेस वाहन है, जो सभी प्रकार की खाद्यान्न फसलों और चुनिंदा सब्जियों में इंटरकल्चरल ऑपरेशन कर सकता है.
- इससे समय और लागत की बचत होती है और इसे चलाने के लिए एक ही व्यक्ति की जरूरत होती है.”
“जुताई, बुवाई और कीटनाशकों के छिड़काव की प्रक्रिया आमतौर पर मैन्युअली होती है. खेत में पौधे जब एक बार बड़े होने लगते हैं, तो वहां तक ट्रैक्टर पहुंचने की जगह नहीं होती है.
विशेष मौसम में मिट्टी और फसल के प्रकार के आधार पर किसानों की आवश्यकताएं बदलती हैं. सबको कस्टमाइजड समाधान की जरूरत थी. फिर इस दिशा में काम शुरू किया. अपना प्रोडक्ट बेचने के लिए उन्होंने ‘कृषिगति प्राइवेट लिमिटेड नाम का एक स्टार्टअप भी शुरू किया.
ट्रैक्टर से बुवाई में फसल का रकबा कम हो जाता
छोटे किसानों ने बताया कि कैसे मौजूदा ट्रैक्टरों और अन्य उपकरणों ने खेती को प्रभावित करा हुए है. खेती में कुछ प्रक्रियाएं हैं, जो केवल एक बैल ही कर सकता है,
क्योंकि ऐसे काम के लिए ट्रैक्टर बहुत बड़ा होता है. उदाहरण के लिए, बीज बोने या सब्जी की फसलों के लिए बैल का इस्तेमाल किया जा सकता है, बैलों को इस्तेमाल करने से पौधों के बीच की दूरी को कम किया जा सकता है. लेकिन इसी काम के लिए ट्रैक्टर का उपयोग करने से बुवाई क्षेत्र कम हो जाता है.
अब तक मिले कई ऑर्डर
इंजीनियर दंपती ने कहना है कि प्रोडक्ट का उत्पादन चल रहा है और जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगा. छह अन्य तरह की मशीनों पर भी काम चल रहा है.